पौष दशमी की आराधना- Paush Dashmi ki Aaradhana
🎋 पोष दशमी की आराधना (भगवान पार्श्वनाथ के जन्म एवं दीक्षा कल्याणक के उपलक्ष्य में किया जाने वाला तप…) ⸻ 👉 अट्ठम तप क्यों करना चाहिए? जब प्रत्येक तीर्थंकर परमात्मा दीक्षा ग्रहण करते हैं, तब वे जो तप रखते हैं, उसे दीक्षा-तप कहा जाता है। जैसे—भगवान ऋषभदेव को छठ्ठ का पच्छक्काण था। चौबीसों तीर्थंकरों के दीक्षा-तप में भगवान पार्श्वनाथ का अट्ठम तप श्रेष्ठ माना गया है। इसलिए इन्हीं दिनों में अट्ठम करने की प्रथा है। दीक्षा के दिन परमात्मा अपने तप का अन्तिम दिन रखते हैं, इसलिए यदि हम भी इस आराधना में अट्ठम करें, तो दीक्षा-कल्याणक के दिन तीसरा उपवास आए—इस प्रकार तপ का क्रम रखना चाहिए। ⸻ 👉 तीन एकासन (शक्करपानी, खीर और भर्ये भाणे) क्यों? वास्तव में हर तीर्थंकर के दीक्षा-तप का अनुसरण हमें प्रतिवर्ष करना चाहिए, परन्तु सभी में उतनी शक्ति न होने से पूर्वाचार्यों ने इन तीन एकासन की विधि बताई। जिससे हर भगवान के दीक्षा-तप का स्मरण बना रहे— 🌸 ऋषभदेव भगवान ने गन्ने के रस से पारणा किया, ➤ इसलिए पहला एकासन — शक्करपानी 🌸 बाइसवें तीर्थंकर ने परमान्न (खीर) से पारणा किया, ➤ इसलिए दूसरा एकासन — खीर 🌸 भग...